हिस्टीरिया स्त्रियों में होने वाली एक मानसिक बीमारी है ! जिसमें मिर्गी के सामान दौरे पड़ते हैं ! परंतु यह मिर्गी से भिन्न एक मेंटल डिसऑर्डर है ! जो प्राय: कम उम्र की ऐसी स्त्रियों को हुआ करता है जो मानसिक रूप से कमजोर होती हैं ! या जिन्हें गर्भाशय संबंधी कोई विकार होता है ! शोक चिंता दुख मानसिक चोट किसी के प्रेम से वंचित रहना मानसिक गड़बड़ी डिंबासय और जरायु रोगों के कारण ! आमतौर पर यह होता है ! मोटे तौर पर हम यह भी कह सकते हैं कि नाड़ियों की कमजोरी के कारण हिस्टीरिया Hysteria होता है ! हिस्टीरिया स्वयं में कोई रोग नहीं है बल्कि यह अन्य दूसरी समस्याओं के कारण उत्पन्न हो जाता है ! हिस्टीरिया का दौरा पड़ने से पहले अक्सर पीड़ित स्त्री को यह समझ आ जाता है कि अब उसे दौरा पड़ने वाला है ! क्योंकि बहुत सी स्त्रियों को रोग होने से पहले सावधान होते देखा गया है !
हिस्टीरिया का दौरा पड़ने से पहले स्त्रियां अपने कपड़े कसकर पहन लिया करती हैं ताकि दौरा पड़ने पर कपड़े खुल या फट ना जाए ! हिस्टीरिया मे बेहोशी आने से पहले कभी कभी ऐसा प्रतीत होता है ! कि पेट से गले तक कुछ चल रहा है ! दौरा पड़ने पर उनकी मुट्ठिया बंध जाती हैं और उनका शरीर धनुष की तरह टेढ़ा हो जाता है ! वे अपना हाथ पैर इधर उधर पटका करती हैं सांस में आवाज होती है किंतु सांस रुक जाने की संभावना नहीं होती है ! वे कभी रोती है तो कभी हंसती हैं कभी चुपचाप पड़ी रहेंगी तो कभी नाराज होने लगेगी ! इस प्रकार उनके मानसिक लक्षणों में कोई स्थिरता नहीं हुआ करती है ! दौरा समाप्त होने के बाद आमतौर पर बहुत अधिक पेशाब होता है ! यह प्रॉब्लम अगर कुंवारी लड़कियों को हो जाए तो वह शादी के बाद ठीक हो जाया करता है !
हिस्टीरिया के कारण / causes of hysteria-
वैसे हीस्टीरिया hysteria का कोई विशेष कारण नहीं होता है यह खासतौर पर उन महिलाओं या लड़कियों को होता है जो मानसिक रूप से कमजोर होती हैं ! वैसे कभी-कभी काम इच्छा को दबाना भी इसका मुख्य कारण होता है ! आइए इसके कुछ मुख्य कारणों को समझते हैं ! वैसे यह पुरुषों में भी बहुत रेयर मात्रा में होता है ! यह उन्हें ही होता है जिन की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होती है !
- शोक, दुख, चिंता, तनाव
- किसी के प्रेम से वंचित रहना
- काम (योन) इच्छा को दबाना
- माहवारी की गड़बड़ी
- डिंबासय और जरायू के रोग
- नाड़ियों की कमजोरी
- शारीरिक परिश्रम कम करना
- मानसिक कमजोरी
- गलत सामग्री का विचार
- बच्चेदानी के रोग
हिस्टीरिया के लक्षण ! symptoms of Hysteria-
दौरा पड़ने के पहले अक्सर पीड़ित अपने कपड़े कसकर पहन लेते हैं क्योंकि उन्हें महसूस होने लगता है कि अब उन्हें दौरा पड़ने वाला है ! इसलिए वे सावधान होने लगती हैं ! चुकि hysteria के लक्षण मानसिक रूप से विक्षिप्त या किसी भूत प्रेत से ग्रसित होने जैसा होता है ! इसलिए कभी-कभी इसको पहचान पाना मुश्किल होता है ! आइए कुछ विशेष लक्षणों के बारे में जानते हैं !
- पेट से गले तक किसी गोले का चलना
- चेहरा तमतमाया हुआ होना
- हाथ पैरों को पटकना
- दांतो का बैठ जाना
- दौरा पड़ने पर मुट्ठियां बंद हो जाना
- सांसो में तेज आवाज आना
- दौरा पड़ने से पहले सावधान होना
- कभी हंसना कभी रोना
- कभी खुश रहना और कभी नाराज होना
- दौरा समाप्त होने के बाद बहुत अधिक पेशाब होना
- मानसिक स्थिति स्थिर ना होना
- भूत प्रेत से ग्रसित होने जैसा व्यवहार
- हिस्टीरिया के रोगी को तेज रोशनी बर्दाश्त नहीं होती है
- छाती कंधे और रीढ़ की हड्डियों में तेज दर्द होता है
हिस्टीरिया और मिर्गी में अंतर !
मिर्गी और हिस्टीरिया hysteria के लक्षण लगभग एक समान होते हैं ! जबकि इनमें काफी अंतर होता है ! मिर्गी के दौरे के समय मुंह में झाग भर जाते हैं और गर्दन एक तरफ को टेढ़ी हो जाती है ! जबकि हिस्टीरिया में ऐसा नहीं होता है हिस्टीरिया एक मानसिक बीमारी है जबकि मिर्गी /Epilepsy एक दिमागी बीमारी है ! मिर्गी का दौरा सामान्यतः 10 से 15 मिनट टकराता है सिर्फ किसी किसी को यह दौरा 2 से 3 घंटे तक रह सकता है ! इसके बाद व्यक्ति होश में आने लगता है होश में आने के बाद उसे गहरी नींद आती है !
हिस्टीरिया के दौरे में झटके की समाप्ति के बाद बहुत सारा पेशाब हुआ करता है ! जबकि मिर्गी के दौरे के समय अनजाने में पेशाब हो जाया करता है ! मिर्गी के दौरे में आंखें फटी फटी सी और पलकें स्थिर हो जाती हैं जो देखने में डरावनी लगती हैं ! जबकि हिस्टीरिया के दौरे में ऐसा नहीं होता है !
दौरा पड़ने पर क्या करना चाहिए ! what do in Hysteria-
हिस्टीरिया hysteria के रोगी की अगर शादी नहीं हुई है तो ऐसा देखा गया है कि शादी करने के बाद यह ठीक हो जाता है ! साथ ही स्त्री की कामेच्छा को संतुष्ट करने का प्रयत्न करना चाहिए ! दौरा पड़ने पर उन्हें स्वच्छ हवादार जगहों पर रखना चाहिए एवं उनके कपड़ों को ढीला कर देना चाहिए ! तथा हाथ पैरों की हथेलियों को तेजी से रगड़ने पर दौरे की इंटेंसिटी कम होती है ! अगर उन्हें कब्ज / constipation की समस्या हो तो कब्ज को दूर करने का प्रयास करना चाहिए एवं लघु पाकी आहार ही देना चाहिए !
हिस्टीरिया ग्रसित व्यक्ति को नित्य हल्का-फुल्का व्यायाम या सैर करना चाहिए ! सिर और गर्दन पर शीतल जल में भिगोया कपड़ा रखने चाहिए ! साथ ही रोगी की मानसिक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए ! वे जैसा कहें उनके हां में हां मिलाना चाहिए अन्यथा दौरे की इंटेंसिटी बढ़ जाती है और वह व्याकुल हो जाते हैं ! हिस्टीरिया पीड़ित से सख्ती से पेश आने से बचना चाहिए ! मुंह पर ठंडे पानी के छींटे मारें तथा उनके नाखून को अपने नाखूनों से दबाने पर उन्हें हो सहा जाता है !
हिस्टीरिया का आनुषंगिक उपचार ! Hysteria treatment-
- स्त्री की कामेच्छा की पूर्ति करने का प्रयत्न करें एवं मानसिक रूप से उसे संतुष्ट और मजबूत करें !
- दौरे के समय कस्तूरी को मद्य में घुटवा कर उसका फोया अंदर में रखाएं !
- माथे आंख और मुंह पर ठंडे जल के छींटे दें और कलाई टखने और हथेलियों को रगड़े इससे उन्हें होश आ जाएगा !
- 2-3 रीठे थोड़े से गर्म जल में घिस कर झाग निकालकर झाग में एक कपड़ा भिगोकर नाक के पास रखें ! इससे उनका दौरा ठीक हो जाता है !
- हल्का फुल्का व्यायाम करने से स्नायु दुर्बलता दूर होकर हिस्टीरिया hysteria से आराम मिलता है !
- पीड़ित को भूख लगने पर 1 हफ्ते तक फल का सेवन करना चाहिए !
हिस्टीरिया का होम्योपैथी इलाज
हिस्टीरिया के दौरे से राहत पाने के लिए होम्योपैथिक की दवा रैकवैग कंपनी का R- 47 ड्राप का सेवन डॉक्टर की सलाह अनुसार कर सकते हैं ! थोड़े से पानी में ड्राप की 10-15 बूंद मिलाकर पीने से हिस्टीरिया में लाभ मिलता है ! इसे दिन में चार से पांच बार लिया जा सकता है !
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