Pneumonia in hindi : निमोनिया के कारण लक्षण और बचाव !

Pneumonia in hindi : निमोनिया के कारण लक्षण और बचाव !

फेफड़ों के तंतुओ के प्रदाह को निमोनिया Pneumonia in Hindi कहते हैं ! यदि एक फेफड़े पर निमोनिया हो तो उसे सिंगल निमोनिया कहते हैं ! और यदि दोनों फेफड़ों पर रोग का हमला हो तो उसे डबल निमोनिया कहते हैं ! यह एक बैक्टीरिया जिसका नाम स्ट्राइपटू न्यूमोकोकस है ! के संक्रमण द्वारा होता है ! यह प्रायः नवजात शिशुओं ( 5 वर्ष से कम) को ही होता है ! लेकिन 5 वर्ष के बाद नवजात शिशु में यह रोग होने की संभावना कम हो जाती है !

वैसे यह रोग नवजात शिशु, जवान व्यक्ति और सीनियर सिटीजन किसी को भी हो सकता है ! इसमें फेफड़ों की कोशिकाओं में इंफेक्शन की वजह से सूजन होती है ! जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत होती है अर्थात अमुक व्यक्ति या शिशु सांस जल्दी-जल्दी लेता है ! खासकर यह रोग ठंड के मौसम में होता है या सर्दी गर्मी के परिवर्तन के समय होता है ! इसे ही न्यूमोनिया pneumonia कहते हैं !

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निमोनिया क्या है : What is pneumonia in Hindi

फेफड़ों में इन्फेक्शन की वजह से फेफड़ों की झिल्लीयों में प्रदाह (सूजन) होता है ! इसे ही निमोनिया pneumonia in Hindi या फुफ्फूस प्रदाह कहते हैं ! यह मधुमेह, इन्फ्लूएंजा, टाइफाइड, हृदय और गुर्दे के कुछ रोग, प्लेग, चेचक, ब्रोंकाइटिस, डिप्थीरिया, खसरा, हैजा, मेनिनजाइटिस, आदि अनेक रोगों के बीच में या इन रोगों के बाद में भी हो जाया करता है ! इस रोग में बुखार 105 डिग्री या इससे भी ज्यादा हो जाया करता है ! सुबह के समय बुखार कुछ कम हो जाता है ! बुखार के साथ-साथ रोगी जोर जोर से सांस लेता है !

सुखी और तकलीफ देने वाली खांसी होती है ! खांसी की पहली हालत में बलगम नहीं निकलता है ! बाद में लाल रंग का बलगम निकला करता है ! बोलते समय खांसी बढ़ जाया करती हैं ! नाडी पहले पहले बहुत तेज और पूर्ण रहती है ! किंतु धीरे-धीरे नाड़ी जल्दी चलने वाली कमजोर और अनियमित हो जाती है !

निमोनिया के कारण : Causes of pneumonia in Hindi

इस रोग के होने का सबसे मुख्य कारण न्यूमोकोकस नामक बैक्टीरिया है ! इसके अलावा सर्दी का मौसम या बदलते मौसम पसीना रुकना सर्दी लगना अधिक कमजोरी फेफड़ों का कमजोर होना आदि कारणों से भी न्यूमोनिया हो जाया करता है ! कुछ रोगों में भी न्यूमोनिया होने की आशंका बनी रहती है ! जैसे मधुमेह, इनफ्लुएंजा (-influenza/), टाइफाइड (/typhoid), हृदय और गुर्दे के कुछ रोग प्लेग, चेचक, ब्रोंकाइटिस, डिप्थीरिया, खसरा, हैजा, मेनिनजाइटिस आदि अनेक रोगों के बीच में या इन रोगों के बाद भी निमोनिया हो सकता है ! खाने पीने की चीजों में ज्यादा ठंडी खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल करने से भी न्यूमोनिया हो सकता है ! ऐसे में आइसक्रीम, बर्फ, और दही वगैरह खाने से बचना चाहिए ! अतः ऐसे लोग जिन की रक्षा प्रणाली कमजोर है उन्हें ठंड से बचना चाहिए ! और बरसात के दिनों में बरसात के पानी में नहीं भीगना चाहिए ! Pneumonia in Hindi

निमोनिया के लक्षण : Symptoms of Pneumonia in Hindi

न्यूमोनिया में बुखार 105 डिग्री या इससे भी ज्यादा हो सकता है ! और सुबह के समय बुखार कम हो जाता है ! रोग की तेजी के अनुसार 5 दिन में 8 दिन में 12 दिन में और 15 दिन में बुखार उतर जाता है ! बुखार के समय रोगी जोर जोर से सांस लेता है ! और उसकी पसलियां भी चलती हैं ! सुखी और तकलीफ देने वाली खांसी होती है ! शुरू में सूखी खांसी होती है ! बाद में कफ भी निकलता है ! एक या दोनों फेफड़ों में जलन होती है !

सामान्य बुखार में बेचैनी के अतिरिक्त किसी तरह की तकलीफ महसूस नहीं होती है ! कमजोर और पतली नाड़ी चलती है ! आंखें सुखि या श्लेष्मा हीन हो जाती है ! न्यूमोनिया में सांस से बदबू आना फेफड़ों में सड़न का सूचक होता है ! पल्स रेट 120 130 हो जाता है ! तेज बुखार की वजह से कभी-कभी ! शरीर में ऐंठन या अकड़न होने लगती है !

निमोनिया होने पर क्या करें !

न्यूमोनिया होने पर अमुक रोगी का पेट साफ रखने की कोशिश करनी चाहिए ! कमरे में शुद्ध वायु का आवागमन सुचारू रूप से करें ! रोगी को ऐसे कमरे में रखें जो न ज्यादा गर्म हो और ना ही ज्यादा ठंडा हो ! लेटते समय रोगी का सिर ऊंचा रखें जिससे उसे सांस लेने में तकलीफ ना हो ! यथासंभव रोगी को आराम की अवस्था में रखना चाहिए ! रोगी अधिक चले फिरे या उत्तेजित ना हो इस बात का ख्याल रखना चाहिए !

वह जैसे रहना बैठना या लेटना चाहे उसे वैसे ही रहने दें ! खाने पीने की चीजों में ठंडे खाद्य पदार्थ खिलाने से बचें ! रोगी को गर्म जल से स्नान कराना चाहिए पीने के लिए भी कुनकुना पानी ही दें ! निमोनिया pneumonia in hindi होने पर जितनी जल्दी हो सके उसे अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए ! ताकि उसका इलाज सुचारू रूप से हो सके !

निमोनिया होने पर क्या ना करें :

रोगी को शीतल और अम्ल चीजों का खाना पीना नहीं देना चाहिए ! रात में कभी भी अधिक खाना ना खाएं नहीं तो सांस की प्रॉब्लम तेज हो सकती है ! रोगी को ज्यादा तेज धूप में चलना फिरना नहीं चाहिए और ना ही अधिक श्रम करना चाहिए ! खाने में दही, खटाई, आइसक्रीम, भारी, गुरु पाकी, गुड़, तेल, लाल मिर्च, लहसुन, अंडा, मांस, मछली, चना, और सेम जातीय खाद्य आदि नहीं देनी चाहिए ! रोगी को धूल रहित वातावरण में रखें !

निमोनिया के प्रकार Types of pneumonia in Hindi

निमोनिया को यहां वर्गीकृत किया गया है कि यह कहाँ या कैसे प्राप्त किया गया था !

अस्पताल-अधिग्रहित निमोनिया (Hospital-acquired pneumonia): इस प्रकार का बैक्टीरियल निमोनिया अस्पताल में रहने के दौरान होता है ! यह अन्य प्रकारों की तुलना में अधिक घातक हो सकता है ! क्योंकि इसमें शामिल बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो सकते हैं !

समुदाय-अधिग्रहित निमोनिया (Community-acquired pneumonia): यह उस निमोनिया को संदर्भित करता है जो एक चिकित्सा या संस्थागत के बाहर भीड़ भाड़ से प्राप्त होता है !

वेंटिलेटर से जुड़े निमोनिया (Ventilator-associated pneumonia): जब वेंटिलेटर का उपयोग करने वाले लोगों को निमोनिया हो जाता है, तो इसे VAP . कहा जाता है !

एस्पिरेशन निमोनिया (Aspiration pneumonia): भोजन, पेय या लार से आपके फेफड़ों में बैक्टीरिया के प्रवेश करने से एस्पिरेशन निमोनिया हो सकता है ! यदि आपको निगलने की समस्या है, या यदि आप दवाओं, शराब, या अन्य दवाओं के उपयोग से बहुत अधिक प्रभावित हैं ! तो इसके होने की संभावना अधिक होती है !

निमोनिया के स्टेज Stage of pneumonia in Hindi

यह निमोनिया को प्रभावित करने वाले फेफड़ों के क्षेत्र के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है !

ब्रोंको निमोनिया Broncho pneumonia

ब्रोन्को निमोनिया आपके दोनों फेफड़ों के क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है ! यह अक्सर आपकी ब्रांकाई के पास या उसके आसपास स्थानीयकृत होता है ! ये वे नलिकाएं हैं जो आपके श्वासनली से आपके फेफड़ों तक ले जाती हैं !

लोबर निमोनिया Lober pneumonia

लोबार निमोनिया आपके फेफड़ों के एक या अधिक पालियों को प्रभावित करता है ! प्रत्येक फेफड़ा लोब से बना होता है ! जो फेफड़े के परिभाषित खंड होते हैं !

लोबर निमोनिया को चार चरणों में विभाजित किया जा सकता है कि यह कैसे विकसित होता है:

1:- Congestion : फेफड़े के ऊतक भारी और कंजेस्टेड वाले दिखाई देते हैं ! वायुकोशों में संक्रामक जीवों से भरा द्रव जमा हो जाता है !
2:- Red hepatization : लाल रक्त कोशिकाओं और प्रतिरक्षा कोशिकाओं में द्रव प्रवेश किया होता है ! इससे फेफड़े लाल और ठोस दिखने लगते हैं !
3:- Gray hepatization : लाल रक्त कोशिकाएं टूटने लगती हैं जबकि प्रतिरक्षा कोशिकाएं बनी हुई होती हैं ! लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से रंग में लाल से भूरे रंग में परिवर्तन होता है !
4:- Resolution : इस स्टेज में प्रतिरक्षा कोशिकाओं ने संक्रमण को दूर करना शुरू कर देती है ! एक उत्पादक खांसी फेफड़ों से शेष तरल पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करती है !

निमोनिया का खतरा किसे है !

निमोनिया होने की सबसे अधिक संभावनाएं 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और बुजुर्गों में मे होती है ! हालांकी शिशुओं मैं 5 वर्ष के बाद इसके होने की संभावना कम हो जाती है! इसके अलावा कुछ अन्य बीमारियों में निमोनिया होने का खतरा बना रहता है ! जैसे ट्यूबरकुलोसिस, एचआईवी, मधुमेह, हृदय रोग, इनफ्लुएंजा, चेचक, प्लेग, टाइफाइड, डिप्थीरिया, खसरा, हैजा, मेनिनजाइटिस, गुर्दे के कुछ रोग इत्यादि में निमोनिया हो सकता है ! न्यूमोनिया वायरस और फंगस के संक्रमण से भी हो सकता है ! इससे बचाव के लिए 2 वर्ष से कम उम्र के शिशुओं को पीसीवी (pcv) का टीका लगाया जाता है ! pneumonia in hindi

निमोनिया का इलाज क्या है Treatment of pneumonia in Hindi

न्यूमोनिया pneumonia एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी घरेलू उपचार से ठीक नहीं होती है ! किसी भी घरेलू उपचार के चक्कर में ना पड़े किसी योग्य डॉक्टर से उचित परामर्श लें ! इसके लिए आपको हॉस्पिटल में एडमिट भी होना पड़ सकता है ! जहां पर एंटीबायोटिक और एंटीवायरल दवाओं से आप अपने स्वास्थ्य को पूर्ववत कुछ ही घंटों या दिन में वापस पा सकते हैं ! pneumonia in hindi

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