दिल का दौरा पड़ने के समय हर्ट में ब्लड सप्लाई बाधित होती है ! साथ ही ऑक्सीजन की आपूर्ति भी रुक जाती है ! जो हृदय को पोषण प्रदान करती हैं ! ऐसी स्थिति को Myocardial infarct भी कहते हैं ! हार्ट अटैक से पीड़ित होने वालों में संयुक्त राज्य अमेरिका पहले स्थान पर है ! एक अनुमान के मुताबिक वहां हर 50 सेकंड में एक आदमी को हार्टअटैक आता है ! बहुत से लोगों में यह कुछ लक्षणों के साथ शुरू होता है ! जबकि बाकी अन्य में बिना किसी संकेत के हार्ट अटैक आ सकता है ! यह एक आपातकालीन स्वास्थ्य स्थिति होती है ! अगर हार्ट अटैक Heart attack के कोई प्री संकेत शरीर में उत्पन्न हो रहे हो तो अविलंब डॉक्टर से सलाह की आवश्यकता है !
यह आमतौर पर दिल की धमनियों में प्लक बिल्डअप (Atherosclerosis) के कारण होता है ! ह्रदय मैं कोलेस्ट्रॉल के जमने की स्थिति में भी दिल का दौरा पड़ सकता है ! हार्ट अटैक रक्त की वाहिकाओं में ब्लड के जमने से भी हो सकता है ! ऐसी स्थिति में भी दिल की वाहिकाओं ब्लड के साथ-साथ ऑक्सीजन की आपूर्ति भी बाधित होती है ! और दिल की वाहिकाएं स्थाई रूप से डेड होने लगती हैं ! अगर कोई व्यक्ति धमनी संबंधी बीमारी से ग्रसित है ! तो धमनि संकरी होने लगती हैं ! धमनियों में वसा कैल्शियम प्रोटीन और सूजी हुई सेल्स प्लक के रूप में इकट्ठी हो सकती हैं ! कुछ कारण ऐसे होते हैं जिन्हें टाल पाना मुश्किल होता है !
जैसे बढ़ती उम्र और दिल के दौरे का पारिवारिक इतिहास ! संभावित व्यक्तियों को हृदयाघात से बचने के लिए नियमित समय पर चेकअप कराना अनिवार्य होता है ! जैसे उच्च रक्तचाप डायबिटीज और अधिक वजन वाले व्यक्ति ! हृदयाघात के जोखिम अत्यंत घातक होते हैं इसलिए स्वस्थ जीवन शैली,उचित परहेज और धूम्रपान का परित्याग करके इसके जोखिम को कम किया जा सकता है !
हार्ट अटैक के कारण causes of heart attack
ह्रदय की मांसपेशियों को ऊर्जा के रूप में ऑक्सीजन की जरूरत होती है ! हृदय की धमनियां ह्रदय में ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए ब्लड सप्लाई की आपूर्ति करती हैं ! अगर कोई व्यक्ति कोरोनरी आर्टरी रोग से पीड़ित है ! तो धमनिया -arteries सकरी हो सकती हैं और ब्लड की सप्लाई पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाती ! अगर ब्लड सप्लाई बाधित हो चुकी है तभी हार्ट अटैक होता है ! कभी-कभी कोरोनारी धमनी में एंठन होने से ही दिल का दौरा पड़ता है ! धमनी में किसी भी कारण से रक्त का थक्का बनने से भी हार्ट अटैक हो सकता है ! अब हर्ट अटैक के कुछ मुख्य कारणों को लिस्ट के अनुसार समझते हैं !
- धमनी की बीमारी
- धमनियों में ऐंठन
- कोलेस्ट्रॉल की अधिकता
- धमनियों में प्रोटीन और वसा की अधिकता
- रक्त का थक्का बनना
- इसकिमिया
- धूम्रपान और शराब का सेवन
- मोटापा
हार्ट अटैक के लक्षण symptoms of heart attack
हार्ट अटैक की तीव्रता के अनुसार हर व्यक्ति में इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं ! कुछ रोगियों में पेट में जलन सांस लेने में तकलीफ जबड़े और सीने या पीठ में दर्द की शिकायत हो सकती है ! वहीं कुछ लोगों को दिल के दौरे heart attack के समय उन्हें कोई भी प्रि सिम्टम्स नहीं होते हैं ! जैसा कि मधुमेह के रोगियों के साथ होता है ! कुछ लक्षण ऐसे हैं जो महिलाओं और पुरुषों में अलग-अलग होते हैं ! अब कुछ लक्षण लिस्ट के अनुसार निम्नलिखित हैं !
- बेचैनी और सिर में भारीपन
- दिल पर दबाव महसूस करना
- छाती से लेकर बांह तक दर्द
- जबड़े और गले में दर्द
- पाचन क्रिया खराब होना
- पसीना निकलना
- उल्टी महसूस करना
- थकान
- सांस लेने में तकलीफ
- तेज या अनियमित दिल की धड़कन
- चक्कर आना
हार्ट अटैक का निदान और परीक्षण
डॉ रोग का निदान करते समय विभिन्न परीक्षणों का उपयोग करते हैं जिससे कि हार्ट अटैक heart attack का सही सही निदान हो जाए ! कभी-कभी धमनियों में कैथेटर के माध्यम से उन जगहों का एक्सरे लिया जाता है ! जहां पर कोलेस्ट्रोल या किसी अन्य माध्यम से धमनी में रुकावट पैदा हुई हो ! वे निश्चिंत होना चाहते हैं कि धमनी में ब्लड का सरकुलेशन कितना और किस प्रकार हो रहा है ! अर्थात डॉक्टर यह देखता है कि धमनी में ब्लॉकेज कितना है ! ब्लॉकेज के हिसाब से डॉक्टर सर्जरी या नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट प्रोसीजर की सलाह दे सकते हैं अब परीक्षण के प्रकार को समझते हैं !
इकोकार्डियोग्राफी- इस परीक्षण द्वारा हृदय की पंपिंग क्षमता को देखा जाता है ! और यह देखा जाता है कि किस एरिया में ठीक से ब्लड की पंपिंग नहीं हो पा रही है ! इसकी प्रतिध्वनि से यह भी पता लगाया जा सकता है कि दिल का कोई हिस्सा जैसे वोल्व, सेप्टम आदि में कोई खराबी तो नहीं आई है !
ईसीजी- इसे इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम या ईसीजी कहते हैं इसके द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि हृदय की मांसपेशियों को कहां और कितनी क्षति पहुंची है ! यही दिल की गति और धड़कन की अनियमितता को भी ट्रैक कर सकता है !
ब्लड टेस्ट- दिल की कोशिकाओं के अंदर एंजाइम्स हो सकते हैं जो हृदय की मांसपेशियों को छति पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होते हैं ! साथ ही ट्रोपोनिन नामक प्रोटीन जो ह्रदय को नुकसान पहुंचाते हैं और रक्त का प्रवाह प्रभावित करते हैं ! इन्हें ब्लड टेस्ट द्वारा फाइंड किया जाता है !
कार्डियक कैथ- आप इसको कार्डियक कैथेटराइजेशन भी कर सकते हैं ! इसके द्वारा धमनियों की छवि प्राप्त की जा सकती है ! यह डॉक्टर को इलाज के बारे में निर्णय लेने में सहायक होता है !
हार्ट अटैक आए तो क्या करें
दिल का दौरा heart attack पड़ने पर जितना जल्दी हो सके डॉक्टर के पास पहुंचे ! यह एक इमरजेंसी की स्थिति होती है ! और ऐसी स्थिति में अधिक विलंब, मतलब दिल की कोशिकाओं को अधिक नुकसान ! इसलिए तुरंत इलाज कराना सुनिश्चित करें ! क्योंकि रोगी को सांस लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है आप डॉक्टर तक पहुंचने से पहले खुद स्वयं द्वारा कुछ उपाय करें इनमें शामिल हो सकता है ! कार्डियक पलमोनरी रेस्पिरेशन अर्थात सीपीआर मुंह द्वारा सांस देना ! और मैनुअल छाती संकुचन अर्थात छाती पर सांस की गति से प्रेशर बनाना !
हार्ट अटैक के जोखिम को कैसे कम करें
हार्ट अटैक को रोकने का सबसे बेहतरीन तरीका है स्वस्थ जीवन शैली व्यायाम और उचित आहार व्यवहार स्वस्थ रहने के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं !
- धूम्रपान से बचें
- शराब के सेवन से बचें
- अधिक व्यायाम करें
- पर्याप्त नींद लें
- शुगर ,डायबिटीज लेवल नियंत्रण में रखें
- रक्तचाप को सामान्य रखें
- मोटापा कम करें
- संतुलित आहार लें
- कोलेस्ट्रोल को निम्न स्तर पर बनाए रखें
- तनाव से बचें
हार्ट अटैक का उपचार Heart Attack treatment
ड्रग थेरेपी (ब्लड थिनर) द्वारा धमनी में बने थक्को को कम किया जाता है ! साथ ही प्लेटलेट्स के इकट्ठा होने, इस्कीमिया होने को कम किया जाता है ! इन ड्रग्स को अगर दौरा पड़ने के 1 से 2 घंटे के अंदर लिया जाए ! तब हृदय को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है ! दिल के दौरे के समय और उसके बाद दी जाने वाली दवाएं दिल को अच्छे से काम करने में मदद करती हैं ! दी जाने वाली ड्रग्स रक्त वाहिकाओं को चौड़ा कर सकती हैं और दिल की अनियमित गति को सामान्य कर सकती हैं !
इसके अलावा कार्डियक कैथेटराइजेशन और बायपास सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ सकती है ! कैथेटराइजेशन द्वारा अवरुद्ध धमनियों में रक्त प्रवाह को पूर्ववत किया जा सकता है ! दिल के दौरे heart attack के समय कुछ विशेष परिस्थितियों में बाईपास सर्जरी की सलाह दी जाती है ! जिसमें रक्त के प्रवाह को सर्जरी द्वारा ठीक किया जा सकता है !