आज इस लेख में हम जानेंगे कि Ketki ka phool kaisa hota hai: केतकी एक सुंदर सुगंधित फूल है, केतकी का उपयोग इत्र और सुगंधित तेल बनाने में किया जाता है ! पौराणिक कथाओं के अनुसार, फूल को भगवान शिव ने श्राप दिया था और किसी भी अनुष्ठान में उपयोग करने से मना कर दिया था ! लेकिन बहुत मिन्नत करने के बाद, उन्होंने इसे महा शिवरात्रि के दिन पूजा में चढ़ाने की अनुमति दी ! भक्तों का मानना है कि इस त्यौहार के अवसर पर केतकी के फूल को चढ़ाने से उनकी मनोकामना पूरी होती है !
इसके पत्ते लंबे, नुकीले, चपटे, मुलायम और चिकने होते हैं, जिनके किनारे पर छोटे छोटे कांटे होते हैं ! यह दो प्रकार की होती है एक सफेद, दूसरा पीला सफेद केतकी को लोग अक्सर ‘केवड़ा’ के नाम से जानते और पहचानते हैं और पीले रंग को केतकी सोना कहा जाता है ! वर्षा ऋतू में ऐसे फूल होते हैं जो लंबे और सफेद होते हैं और तेज सुगंध वाले होते हैं !
केतकी एक शिव जी के लिए निषिद्ध फूल है ! जिसे भगवान शिव ने भगवान ब्रह्मा के फेवर में झूठी गवाही देने के लिए शाप दिया था !
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केतकी का फूल क्या है Ketki ka phool kaisa hota hai
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केतकी एक संस्कृत नाम है, जिसका अर्थ है “धुली पुष्पिका” केतकी को हिंदी में “केउरा” भी कहा जाता है ! इस पौधे का वानस्पतिक नाम “पैंडानस ओडोरैटिसिमस” है ! अंग्रेजी में इसे अम्ब्रेला ट्री या स्क्रू पाइन के नाम से जाना जाता है !
केतकी घनी शाखाओं वाली झाड़ी है ! और आमतौर पर भारत के तट और अंडमान द्वीपों में पाया जाता है ! पत्तियां हिमाच्छादित-हरे रंग की होती हैं और नुकीली होती हैं ! पत्तियों के किनारों और मध्य भाग पर काँटे होते हैं !
नर और मादा दोनों फूल अलग-अलग पौधों पर पैदा होते हैं ! प्राचीन हिंदुओं ने नर पौधों को “केतकी-विफला” या “धुली पुष्पिका” कहा था !
मादा पौधों को “सुवर्ण केतकी” के नाम से जाना जाता था ! नर और मादा पौधे एक साथ होने पर “केतकी द्वायन” (केतकी की एक जोड़ी) कहा जाता था !
केतकी का फूल शिव को क्यों नहीं चढ़ाया जाता है
शिव पुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा और विष्णु के बीच विवाद हुआ कि दोनों में सबसे अच्छा कौन है ! ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता सर्वश्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे और भगवान विष्णु स्वयं को संपूर्ण सृष्टि के अनुयायी के रूप में श्रेष्ठ बता रहे थे ! इसी बीच वहां एक विशाल ज्योतिर्मय लिंग प्रकट हुआ ! दोनों देवताओं ने यह निश्चय किया कि जो कोई भी इस ज्योतिर्मय लिंग का अंत सबसे पहले पाएगा, उसे ही सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा ! इसलिए, दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग का अंत खोजने के लिए निकल पड़े !
नाकाम होकर विष्णु लौट आए ! उसके बाद ब्रह्मा भी सफल नहीं हुए लेकिन उन्होंने आकर विष्णु से कहा कि वह अंत तक पहुंच गए हैं ! उन्होंने केतकी के फूल को इसका साक्षी बताया ! ब्रह्माजी के असत्य पर वहां स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी की आलोचना की ! इसके बाद दोनों देवताओं ने महादेव की स्तुति की !
तब शिवजी ने कहा कि मैं ब्रह्मांड का कारण, प्रवर्तक और स्वामी हूं ! मैंने तुम दोनों को उत्पन्न किया है ! और शिव ने केतकी के फूल को झूठे सबूत देने के लिए दंडित किया और कहा कि यह फूल मेरी पूजा में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा ! इसी कथा के बाद से केतकी का फूल शिव-पूजा में नहीं चढ़ता !
कौन सा फूल शिव जी को पसंद है Ketki ka phool kaisa hota hai
इस प्रकार धतूरा भगवान शिव का पसंदीदा फूल बन गया ! भगवान शिव की पूजा के दौरान आह्वान किया जाता है ताकि वह अपने अहंकार, प्रतिद्वंद्विता, ईर्ष्या और घृणा से दूर रह कर मन को शुद्ध कर सके ! इसके अलावा अकंद, बेल पत्र भी शिव की पूजा में उपयोग किया जाता है !
क्या केतकी और चंपा फूल एक समान हैं
देवी पार्वती और भगवान विष्णु को चंपा फूल चढ़ाया जाता है ! चंपा, जिसे केतकी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता है ! क्योंकि कहा जाता है कि इस फूल को केतकी के फूल के साथ उन्होंने श्राप दिया था ! परंपरा के अनुसार फूलों की कलियाँ देवताओं को नहीं चढ़ायी जाती हैं ! लेकिन चंपा और कमल की कलियाँ दो अपवाद हैं !
केतकी फूल के अन्य नाम
केतकी फूल को भारत में कई नामों से जाना जाता हैं !
- संस्कृत: सुकिकापुस्पा
- असम: कटकी
- बंगाली: कटकी
- अंग्रेजी : पेंच पाइन
- गुजराती: केवडो
- हिंदी: केवड़ा
- कन्नड़: कदजल्मुडु
- कश्मीर तलेहुवु
- मलयालम: पुकैथा
- मराठी: केवड़ा
- उड़िया : केतकी, किआ
- पंजाबी : केओरा
- तमिल: तज़हाई
- तेलुगु : मोगली
केतकी का फूल कहाँ पाया जाता है
केतकी के फूल को केवड़ा भी कहा जाता है ! यह केतकी का फूल मोहमदी शहर में पाया जाता है ! Ketki ka phool kaisa hota !
केतकी का फूल कैसा होता है Ketki ka phool kaisa hota hai
केतकी के पत्ते लंबे, नुकीले, चपटे, मुलायम और चिकने होते हैं, जिनके किनारे पर छोटे छोटे कांटे होते हैं ! और इसका फूल आधा सफेद और आधा पीला होता है ! अब आप समझ गए होंगे की Ketki ka phool kaisa hota hai !

केतकी का पौधा कैसा होता है
केतकी के पौधे को चंपक या केवड़ा के पेड़ के नाम से भी जाना जाता है ! केतकी का पौधा बहुत नहीं बढ़ता है यह जमीन पर झाड़ की तरह फैलता है ! परन्तु यह बहुत सुगंधित होता है ! इसके पत्ते लंबे, चपटे, कांटेदार, मुलायम और चिकने होते है ! इसके किनारे पर छोटे छोटे कांटे होते है ! यह पौधे का उपयोग बगीचों में सुगंध के लिए किया जाता है !

केतकी का उपयोग और लाभ Ketki ka phool kaisa hota hai
खाना बनाने या पानी में केवड़ा मिलाकर टेस्टी और सुगन्धित करने में केतकी का उपयोग किया जाता है ! यह ठंढी प्रकृत के कारण शरीर को ठंढा रखता है ! साथ ही यह कई त्वचा रोगों में लाभदायक है ! एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण यह रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है ! यह बालों में लेप लगाने और त्वचा की सुंदरता बढ़ाने के काम भी आता है !
केतकी के फूल को अंग्रेजी में क्या कहते हैं
केतकी का फूल अंग्रेजी में फ्रेग्रेंट स्क्रूपाइन (Fragrant Screw-pine) कहलाता है ! तथा पेड़ को अंग्रेजी में अम्ब्रेला ट्री (Umbrella Tree) एवं स्क्रू ट्री (Screw Tree) के नाम से जाना जाता है ! और इसका वैज्ञानिक नाम पैंडनस ओडोरिफर है !
केतकी का फूल और सीता
सतयुग के समय दिए गए आशीर्वाद और श्राप अत्यधिक प्रभावी होते थे ! यह एक ऐसा समय था जब प्रकृति के सभी जीव एक दूसरे की भाषा को समझते थे और कष्ट कम थे !
शुद्ध हृदय वाली आत्मा के मुख से जो कुछ निकलता है, वह सत्य ही होता था ! इसलिए किसी पीड़ित या सुखी स्त्री/पुरुष द्वारा दिया गया श्राप समान रूप से प्रभावकारी होता था !
ऐसा ही एक मामला था जब देवी सीता ने एक गाय, एक कौवा, एक केतकी फूल, एक तुलसी के पौधे और एक पुजारी को श्राप दिया था !
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