भारतीय चिकित्सा शोध परिषद ( icmr ) के वैज्ञानिकों की मानें तो जितने भी मरीज भारत में कोरोना वायरस के मिले हैं ! उन सभी वायरस की संरचनाएं काफी हद तक एक समान है ! जबकि बाकी अन्य वायरस मनुष्यों में एक से दूसरे व्यक्ति में पहुंचते समय अपनी संरचनाओं में बदलाव करते हैं ! जैसा कि इन्फ्लूएंजा के वायरस एक दूसरे व्यक्ति में पहुंचते समय अपनी संरचनाओं में बदलाव करते हैं ! जिसे म्यूटेशन कहते हैं ! देखा जाए तो दिसंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर अब तक 3 महीने की अवधि में वुहान और भारत में कोरोना वायरस की संरचनाएं लगभग एक समान है ! आईसीएमआर के विशेषज्ञ डॉ गंगाखेड़कर के अनुसार बुहान में मिले मरीज ! और भारत में मिले मरीजों के वायरस की संरचनाएं लगभग 99.9 प्रतिशत एक समान हैं !
ऐसा लग रहा है कि सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में वायरस की आनुवंशिकी संरचना लगभग एक समान मिल रही है ! इसका एक फायदा यह मिल सकता है कि कोरोनावायरस से बचाव के लिए अगर कोई वैक्सीन या दवा बनती है ! तो वह लंबे समय तक प्रभावी सिद्ध होगी ! इसके ठीक विपरीत इनफ्लुएंजा की दवा या वैक्सीन में समय-समय पर बदलाव करने पड़ते हैं ! हालांकि आईसीएमआर के वैज्ञानिक का कहना है कि अभी किसी भी निर्णय पर पहुंचना जल्दबाजी होगी ! उनका कहना है कि अभी और कुछ समय तक इस वायरस पर नजर रखने की जरूरत है ! आइए जानते हैं भारत में कोरोनावायरस की दवा के बारे में !
कोरोना वायरस के लिए एचआईवी की दवा !
वैसे भारत में कोरोना वायरस कि अभी तक कोई पेटेंट दवा या वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पाई है ! भारतीय वैज्ञानिक डॉक्टरों की टीम द्वारा एचआईवी की दवा लूपिनाविर और रिटोनावीर से कोरोना वायरस का इलाज करने का निर्णय लिया गया है ! एचआईवी भी एक वायरस से होने वाली बीमारी है ! इसलिए एचआईवी की दवा कोरोना वायरस बीमारी के लिए बेहद कारगर साबित हो रही है ! यह दवा शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाकर वायरस को कमजोर करती है ! और उनके आक्रमण को कम करती हैं ! जिसके फलस्वरूप कोरोना वायरस हमारी इम्यूनिटी के सामने नहीं टिक पाता है ! हालांकि देखा जाए तो यह एक प्रयोग था जिसके सकारात्मक परिणाम मिले ! वैसे देखा जाए तो डॉक्टरों द्वारा बहुत पहले से ही बहुत सी बीमारियों में सब्सीट्यूट दवा का इस्तेमाल किया जाता रहा है !
भारत में कोरोना वायरस के लिए मलेरिया की दवा- !
भारतीय डॉक्टरों द्वारा मलेरिया में प्रयोग की जाने वाली दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन का इस्तेमाल कोरोना वायरस बीमारी के इलाज के लिए किया जा रहा है ! जिसके अच्छे परिणाम भी मिल रहे हैं ! यह एक हार्मफुल दवा है जिसके इस्तेमाल से मनुष्य की कोशिकाओं में एक तरह का रजिस्टेंस उत्पन्न होता है ! जिसकी वजह से भारत में कोरोना वायरस शरीर की कोशिकाओं में अधिक सक्रिय नहीं हो पाते हैं ! इस तरह से शरीर की कोशिकाओं खासकर फेफड़ों की कोशिकाओं में यह वायरस अधिक नुकसान नहीं पहुंचा पाते ! जैसा कि हम सभी जानते हैं सभी वायरस एक तरह के परजीवी वायरस होते हैं ! जिन्हें जीवित रहने और अपने वंश में वृद्धि करने के लिए मनुष्य की कोशिकाओं की आवश्यकता होती है !
और यह वायरस इंसानी शरीर से बाहर ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं ! इस दवा के प्रभाव को देखते हुए अमेरिका सहित कई देशों ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरो क्विन की मांग की ! भारत हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की दवा का बड़ा उत्पादक देश है ! और इस महामारी के समय भारत ने इन कई देशों को हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन दवा का निर्यात भी कर चुका है !
भारत में कोरोना वायरस के लिए एंटीबायोटिक दवा !
विशेषज्ञ डॉक्टरों की मानें तो वायरस द्वारा फेफड़ों में हुई छति के बाद होने वाले इन्फेक्शन बैक्टीरिया द्वारा होते हैं ! कोरोना वायरस के लक्षण आने के एक हफ्ते बाद कुछ मरीजों में एक विशेष प्रकार का निमोनिया होता है ! खासकर 60 वर्ष से ज्यादा की उम्र वालों को यह विशेष प्रकार का निमोनिया होता है ! जिसके बाद सांस प्रश्वास में दिक्कत होती है ! और फेफड़ों में कांटो के चुभने जैसा दर्द होता है ! जिनको ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक्स का अहम रोल होता है ! ऐसे में अजित्रोमायसिन सहित अन्य एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है ! उपर्युक्त सभी दवाएं हॉस्पिटल प्रयोग के लिए हैं कृपया इन्हें बिना डॉक्टर की देखरेख के प्रयोग ना करें !
भारत में कोरोना वायरस के लिए डेक्सामेथासोन
ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने एक शोध में पाया कि कोरोनावायरस के ऐसे मरीज जों ऑक्सीजन और वेंटीलेटर पर हैं ! उन्हें डेक्सामेथासोन देने से 28% से 40% तक मृत्यु की संभावना कम हो गई ! यह एक एस्टेरॉयड है जो बेहद प्रचलित और सस्ती दवा है अगर भारत में कोरोना वायरस की यह दवा कारगर होती है ! तो ग्रामीण क्षेत्र और गरीबों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है !
भारत में कोरोना वायरस का परीक्षण (Test) !
कोरोना वायरस का परीक्षण मुख्यतः दो प्रकार से किया जाता है ! बिना परीक्षण के कोरोना वायरस और सामान्य फ्लू के लक्षणों में अंतर कर पाना मुश्किल होता है !
1* पीसीआर (PCR) टेस्ट
ज्यादातर विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं ! कि कोरोनावायरस के इलाज के लिए सबसे अहम है टेस्ट सही टेस्ट कई जाने बचा सकता हैं ! कोरोनावायरस का पता लगाने के लिए 2 तरह की जांच होती है ! फिलहाल अभी तक ज्यादातर pcr-test-covid-19/ (polymer chain reaction) टेस्ट का इस्तेमाल हो रहा है ! यह रियल टाइम टेस्ट है इसमें संक्रमण का सटीक निदान होता है ! आमतौर पर इसमें मरीज की नाक के कंण या थूक एक स्वाब के जरिए लिया जाता है ! इस टेस्ट से वायरस के आर एन ए (RNA) जीनोम का पता चलता है ! अर्थात यह टेस्ट यह पता लगा सकता है कि किसी मनुष्य में कोरोना वायरस है या नहीं ! pcr टेस्ट मरीज और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए जरूरी है ! लेकिन यह टेस्ट लैब में ही किया जाता है ! इसमें समय लगता है और यह काफी महंगा है ! इस परीक्षण में कुशल कर्मचारियों और विशेष केमिकल्स की जरूरत पड़ती है !
2* रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट !
दूसरे प्रकार का परीक्षण खून में एंटीबॉडीज की जांच करता है ! इससे पता चल जाता है कि कौन-कौन वायरस के संपर्क में आए और किसमें वायरस से लड़ने के प्रति रक्षात्मक क्षमता बढ़ी है ! इससे आसानी से पता लगा सकते हैं कि क्या किसी मरीज मे वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित हुई है या नहीं ! एंटीबॉडी टेस्ट काफी सस्ता है और जांच के नतीजों के लिए किसी प्रयोगशाला की जरूरत नहीं पड़ती ! जरूरी एंटी बॉडीज के बनने के लिए संक्रमण के बाद हफ्तों का वक्त लग सकता है ! पर अब तक हुई जांच के नतीजों की सटीकता पर कई सवाल बने हुए हैं !
सोच ए है कि सिर्फ इम्यूनिटी के टेस्ट के जरिए कई लोग जिन्हें वाकई संक्रमण है या हुआ था ! वह वास्तव में कोविड-19 का संक्रमण ही है ! या कोई अन्य वायरस का संक्रमण है ! इस टेस्ट में कोरोनावायरस पॉजिटिव आने पर पीसीआर टेस्ट भी कराना अनिवार्य है ! इससे यह फायदा है ! की बहुत बड़ी जनसंख्या पर संक्रमित मरीजों को बिना पीसीआर टेस्ट के स्क्रीनिंग की जा सकेगी ! और रिजल्ट 10-15 मिनट में ही मिल जाएगा !
चीन से मंगाई गई लगभग तीन लाख टेस्ट किट ! मै से ज्यादातर के खराब निकलने की वजह से वहां की किट से जांच करना बंद कर दिया गया है ! हरियाणा की एक कंपनी द्वारा टेस्ट किट बनाई गई है ! उम्मीद की जा रही हैं कि कुछ कंपनियां ! इस टेस्ट किट को 70 से 140 रुपए में आम लोगों के लिए उपलब्ध करा सकती है ! वास्तव में यह गेम चेंजर साबित होगा खासकर वहां जहां संसाधनों की कमी है ! साथ ही इसे यह भी साबित करना है कि यह परीक्षण प्रभावी रूप से काम कर रहे हैं ! इस प्रकार एक नहीं बल्कि कई सारी टेक्नोलॉजी के मेल से ही हमें वायरस को दूर रखने में मदद मिलेगी !