सर्दियों के दिनों में या सर्दी गर्मी के परिवर्तन के समय यह रोग अधिक हुआ करता है यह एक प्रकार के दंडाकार वायरस के द्वारा होता है ! जिसका नाम बेसिलस इन्फ्लूएंजा है इसे influenza- a के नाम से भी जाना जाता है ! इनफ्लुएंजा के वायरस व्यक्ति के सलाइवा ( लार ) में होते हैं ! जो आमतौर पर दूषित वस्त्रों और छिंकने खांसने पर हवा द्वारा फैलता है ! नजला होना एकाएक 103 डिग्री फारेनहाइट तेज बुखार ! सिर दर्द कमजोरी कमर और हड्डियों में दर्द ! कंठ और मुंह में जलन तथा तेज सूखी खांसी के साथ प्रकट होता है ! सिर दर्द शरीर में दर्द सर्दी खांसी छींक अवसाद हरारत और शरीर गर्म होना इत्यादि ! इस रोग के पूर्व लक्षण के रूप में शीघ्रता से प्रकट होते हैं ! जीभ पर एक परत सा बन जाता है और भूख नहीं रहती है ! सिर और कमर में बहुत ज्यादा दर्द होता है !
प्रथम सप्ताह के अंत से यह रोग ज्यादा बड़े तो फेफड़े या आमाशय ! अथवा स्नायु मंडल के किसी भी यंत्र में उसका प्रभाव पड़ता है ! और फिर निमोनिया ब्रोंकाइटिस प्लूरसी और कान में इन्फेक्शन आदि अन्य समस्याएं होने लगती हैं ! इन्फ्लूएंजा में बुखार 103 डिग्री से 104 डिग्री फारेनहाइट तक हो सकता है ! वैसे अक्सर यह 1 हफ्ते के बाद बिल्कुल ठीक हो जाया करता है ! इसकी पहचान करना थोड़ा मुश्किल होता है ! सर्दी के दिनों में कोई भी रोग होने पर इसके होने का शक सबसे पहले होता है किंतु ! तेज ज्वर सिर दर्द बेचैनी खांसी जुखाम छाती में दर्द आदि लक्षणों से इसे सफलतापूर्वक पहचाना जा सकता है ! अक्सर यह बीमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता के कम होने पर ही शरीर में प्रदर्शित होती है ! इनफ्लुएंजा के लक्षण कोरोना वायरस के लक्षणों से बिल्कुल मिलते जुलते हैं ! कुछ एहतियात बरतकर हम इस रोग से दूर रह सकते हैं !
इनफ्लुएंजा के कारण : causes of Influenza !
इनफ्लुएंजा या फ्लू मुख्यतः एक दंडाकार वायरस बेसिलस इनफ्लुएंजी के संक्रमण द्वारा होता है ! यह वायरस (viruses structure /books) मनुष्य की लार ( सलाइवा ) में रहता है जो खांसने छींकने पर हवा द्वारा फैलता है ! इसके अलावा छूने और दूषित वस्त्रों से भी फैलता है इनफ्लुएंजा के रोगी को अन्य सदस्यों से पृथक रखना चाहिए ! ठंड के समय गर्म कपड़े पहनने चाहिए मुंह और नाक को किसी वस्त्र से ढक कर रखना चाहिए ! मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर इन्फ्लूएंजा का आक्रमण तेजी से होता है ! इसलिए ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए साथ ही पानी अधिक मात्रा में पीऐं ! ज्यादा गरिष्ठ खाद्य पदार्थों को खाने में प्रयोग करने से भी इम्यूनिटी कमजोर होती है और ऐसे समय में इनफ्लुएंजा का संक्रमण हो सकता है !
इनफ्लुएंजा के लक्षण : symptoms of Influenza !
सिर दर्द शरीर दर्द सर्दी खांसी छींक नाक बहना गले में खराश सांस लेने में तकलीफ अवसाद हरारत छाती में दर्द और ताप इत्यादि इस रोग के पूर्व लक्षण के रूप में प्रकट होते हैं ! जीभ पर एक परत सा जम जाता है भूख कम लगती है ! सिर और कमर में बहुत ज्यादा दर्द होता है प्रथम सप्ताह के अंत से ही अगर रोग ठीक नहीं हो पाया तो यह बढ़कर फेफड़े आमाशय और स्नायु मंडल के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है ! और फिर निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और कान में संक्रमण, नाक की श्लेषमिक कला में शोथ आदि समस्याएं हो सकती हैं ! इसमें 102 डिग्री से 104 डिग्री फॉरेनहाइट तक बुखार हो सकता है वैसे अक्सर यह 1 हफ्ते के बाद कम या बिल्कुल ठीक हो जाया करता है !
क्या करें !
स्वच्छ हवादार और गर्म कमरे में गर्म कपड़े से ढक कर इनफ्लुएंजा के रोगी को रखें ठंड पानी से स्नान करना बंद कर दें ! ठंड से बचने के पूरे प्रयास करें ! खाने के लिए गर्म दूध साबु बार्ली मिश्री मीठा संतरा अंगूर शुद्ध शहद या शहद मिला दूध अनार और कसेरू आदि का प्रयोग कर सकते हैं ! यूकेलिप्टस ऑयल सुंघे या गर्म जल में टिंचर बेंजोइन कंपाउंड मिलाकर भाप लें !
क्या ना करें !
इनफ्लुएंजा होने पर खट्टी और ठंडी चीजों को खाने में प्रयोग बिल्कुल नहीं करें जैसे खटाई दही आइसक्रीम खट्टे फल को खाने से बचें ! इनफ्लुएंजा होने पर अपने कपड़ों को रोजाना गर्म पानी में धोएं अर्थात गंदे कपड़ों का प्रयोग बिल्कुल ना करें ! घर के सदस्यों से अलग रहें नहीं तो परिवार के सभी सदस्यों को इनफ्लुएंजा हो सकता है ! धूल व प्रदूषित वाली जगहों पर जाने से बचें !
इनफ्लुएंजा से बचाव !
इनफ्लुएंजा से बचाव के लिए वर्तमान समय में हिमोफिलस इनफ्लुएंजी कन्ज्यूगेट का टीका डेढ़ माह से अधिक के बच्चों को 1 माह के अंतराल पर 3 बार लगाया जाता है ! साथ ही शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाकर इनफ्लुएंजा से बचा जा सकता है ! शरीर की साफ-सफाई के साथ रोगी द्वारा यूज होने वाले कपड़ों की सफाई पर भी विशेष ध्यान दें तथा इन्फ्लूएंजा होने पर कपूर की टिकिया हमेशा अपने पास रखें और यूकेलिप्टस ऑयल को रुमाल में छिड़ककर सूंघते रहें ! रोग की प्रकृति में तेजी आने और रोग ठीक ना होने पर डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें !
इन्फ्लूएंजा का निदान
आपका डॉक्टर एक शारीरिक परीक्षा करेगा, इन्फ्लूएंजा के लक्षणों और लक्षणों की तलाश करेगा, ऐसे समय में जब इन्फ्लूएंजा व्यापक रूप से फैलता है तब संभवतः एक परीक्षण का आदेश देगा जो इन्फ्लूएंजा वायरस का पता लगाता है ! अधिकांश मामलों में आपको इन्फ्लूएंजा के परीक्षण की आवश्यकता नहीं होती है ! आपका डॉक्टर आपके संकेतों और लक्षणों के आधार पर आपका निदान कर सकता है !
उपचार : treatment of Influenza !
1- ओवर द काउंटर के रूप में पेरासिटामोल का प्रयोग कर सकते हैं ! इससे इनफ्लुएंजा के लक्षणों में आराम मिलेगा ! आराम नहीं मिलने की स्थिति में अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें ! आपके डॉक्टर एंटीवायरल ड्रग्स जैसे टेमीफ्लू आपको रिकमेंड कर सकते हैं !
2- एक टीस्पून मुलेठी क्वाटर टीस्पून अदरक पाउडर जिसे जिंजर भी कहा जाता है और 2 टेबलस्पून सहद इन्हें आपस में मिक्स कर लें और रोजाना सुबह-शाम एक-एक चम्मच खाएं साथ ही भाप भी लेते रहें !
3- बादाम के 7 दाने एवं काली मिर्च के 3 दाने को पीसकर एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर रात के समय पिए ! इससे भी इन्फ्लूएंजा में आराम मिलेगा साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी !
4- एक गिलास पानी में एक चम्मच मेथी पाउडर मिलाकर अच्छी तरह उबालें जब एक तिहाई गिलास पानी रह जाए तो इसे छानकर इसमें एक चम्मच अदरक का रस और दो चम्मच सहद मिलाकर अच्छे से मिक्स करें और फिर इसे पी जाएं !
5- लहसुन की 4-5 कलियों को आधे गिलास पानी में 5 मिनट तक उबालेंं फिर लहसुन को निकालकर पानी को पी जाएं और बचे हुए लहसुन को पीसकर उसमें एक चम्मच शहद मिलाएं और खा जाएं !