टीबी अत्यंत संक्रामक रोग है जो mycobacterium tuberculi नामक बैक्टीरिया के द्वारा होता है ! यह रोगी के खांसने छिंकने के द्वारा अन्य लोगों में फैलता है ! Tuberculosis के बैक्टीरिया सर्वप्रथम फेफड़ों को संक्रमित करते हैं ! इसके अलावा लीवर, किडनी, ब्रेन, स्पाइनल कॉर्ड जैसे महत्वपूर्ण अंगों पर भी इस रोग का हमला हो सकता है !
शरीर में टीवी के बैक्टीरिया स्वयं को बढ़ाना प्रारंभ कर देते हैं ! और पीड़ित व्यक्ति में ट्यूबरकुलोसिस के लक्षण दिखाई देने लगते हैं ! जैसे हल्का बुखार, खांसी /cough, ठीक ना होने वाली खांसी, सीने में दर्द, थकान, ठंड लगना आदि ! भारत की लगभग आधी आबादी के शरीर में टीवी बैक्टीरिया मौजूद है ! परंतु लगभग 80 प्रतिशत लोगों मे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने के कारण पूरी जीवन में टीबी नहीं होता है !
कभी-कभी टीबी के बैक्टीरिया शरीर में होते तो है परंतु उसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं ! ऐसी स्थिति को लेटेंट टीबी कहा जाता है ! इसका हम स्किन टेस्ट से निदान कर सकते हैं लगभग 3 महीने के उपचार उपरांत इस प्रकार का टीबी ठीक हो जाता है !
जब शरीर में टीबी के लक्षण दिखाई देेने शुरू हो जाते हैं तब उसे एक्टिव टीबी कहा जाता है ! इस स्थिति में इलाज कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है ! चिकित्सक चेस्ट एक्सरे ,स्किन टेस्ट इत्यादि के द्वारा टीबी की बीमारी को सुनिश्चित करता है !
जांच उपरांत कम से कम 9 महीने तक लगातार दवाईयाँ लेनी होती है ! इसके पश्चात ही तपेदिक का मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है ! इलाज बीच में छोड़ने पर यह बीमारी फिर से वापस आती है ! और फिर पुरानी दवाएँ काम नहीं करती है यह बीमारी बहुत ही जटिल हो जाती है !
फिर इसको ठीक करने के लिए हाई पावर दवा का प्रयोग करना पड़ता है ! क्योंकि तब तक यह बैक्टीरिया ड्रग रेजिस्टेंस हो चुका होता है !
टीबी के कारण Causes of tuberculosis
टीबी मुख्यत: माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरकुली बैक्टीरिया के कारण होता है ! इसके अलावा अन्य कई कारण हैं जिनकी वजह से टीवी tuberculosis होती है ! खान-पान में पौष्टिकता की कमी की वजह से अधिकांशत: टीबी होती है क्योंकि कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (week immunity) से शरीर बैक्टीरिया का मुकाबला नहीं कर पाता है ! अधिक कन्जेस्टेड एरिया में रहने के कारण भी टीबी हो सकती है ! ऐसी स्थिति में इन्फेक्शन बहुत तेजी से फैलता है और अधिक लोग प्रभावित होते हैं !
अंधेरे और नमी भरे वातावरण में भी टीबी के बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं ! टीबी के बैक्टीरिया अंधेरी जगह में तेजी से विकसित होते हैं ! स्मोकिंग और ड्रिंक करने वालों को टीबी जल्दी होती है ! एचआईवी, डायबिटीज, स्ट्राइड यूजर और कुपोषण से पीड़ित व्यक्ति को टीवी जल्दी अपनी चपेट में लेता है !
टीबी के लक्षण Symptoms of tubrculosis
तपेदिक tuberculosis मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है जहां इसे फुफ्फुसीय तपेदिक कहा जाता है। यह हड्डियों, मस्तिष्क, गर्भ या गर्भाशय, त्वचा, लिम्फ नोड्स आदि सहित शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है या अन्य अंगों में व्यापक रूप से फैल सकता है जैसा कि माइलर तपेदिक और प्रसार तपेदिक में देखा जाता है !
फुफ्फुसीय तपेदिक के विशिष्ट लक्षणों में शामिल हैं 2 हफ्तों से अधिक समय तक खांसी, सांस लेने में दिक्कत, कंफ निकलना, खांसी के साथ खून आना, बुखार इत्यादि !
टीबी के प्रकार types of tuberculosis
इसके कई प्रकार होते हैं यह शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करती हैं टीबी tuberculosis के कुछ मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं !
एक्टिव टीबी – एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर के विभिन्न अंगों पर टीबी के बैक्टीरिया तेजी से आक्रमण कर रहे होते हैं ! सक्रिय टीबी के विशिष्ट लक्षणों में खांसी, कफ, सीने में दर्द, कमजोरी, वजन में कमी, बुखार, ठंड लगना और रात में पसीना आना आदि शामिल हैं ! सक्रिय फुफ्फुसीय टीबी रोग वाले व्यक्ति हवा में खांसी वाले संक्रामक कणों के हवाई संचरण द्वारा दूसरों को टीबी फैला सकते हैं !
यदि आप एक सक्रिय टीबी रोग का निदान करते हैं, तो हर उस व्यक्ति का सावधानीपूर्वक, विस्तृत इतिहास रखने के लिए तैयार रहें, जिसके साथ आपका संपर्क हुआ है ! चूंकि सक्रिय रूप संक्रामक हो सकता है, इसलिए इन लोगों को परीक्षण करने की आवश्यकता होगी !
लेटेंट टीबी – ऐसी स्थिति में बैक्टीरिया शरीर में तो रहते है ! परंतु शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होने के कारण वह अधिक सक्रिय नहीं हो पाती ! और शरीर में तपेदिक के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं ! लेकिन शरीर की निम्न रक्षा प्रणाली या कुपोषण की वजह से कभी भी यह सक्रिय टीबी बन सकता है !
पलमोनरी टीबी
एक संक्रामक, वायुजनित संक्रमण का कारण बनता है जो शरीर के ऊतकों को नष्ट कर देता है। पल्मोनरी टीबी तब होती है जब ट्यूबरकुलोसिस मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करता है ! हालांकि यह वहां से दूसरे अंगों में फैल सकता है ! पल्मोनरी टीबी एक शुरुआती निदान और एंटीबायोटिक उपचार के साथ इलाज योग्य है ! स्वस्थ जीवन शैली के साथ स्ट्रेप्टोमाइसिन (streptomycin) और आइसोनियाज़िड जैसे एंटीबायोटिक दवाओं के मिल जाने के बाद, डॉक्टर टीबी tuberculosis के इलाज और नियंत्रण करने में सफल हो रहे हैं !
एक्स्ट्रा पलमोनरी टीबी
तपेदिक जब फेफड़ों के साथ-साथ अन्य अंगों में होने लगता है तब उसे एक्सट्रैपलमोनरी टीवी के नाम से जाना जाता है ! जैसे लीवर में टीवी, किडनी में टीवी और हड्डियों में टीवी का होना !
टीबी का निदान Diagnose of tuberculosis
तपेदिक का निदान कई प्रयोगशाला तकनीकों का उपयोग करके किया जाता है ! जो रक्त और थूक के नमूनों का परीक्षण करते हैं ! बैक्टीरिया को बलगम के धुंधला और सूक्ष्म परीक्षण पर पाया जा सकता है !
तपेदिक tuberculosis के परीक्षण के लिए अधिक तीव्र और परिष्कृत रक्त परीक्षण भी उपलब्ध हैं ! फेफड़ों में ट्यूबरकुलर घावों की कल्पना करने के लिए एक छाती एक्स रे का उपयोग किया जाता है ! निदान के लिए सीटी स्कैन और एमआरआई छवियों का भी उपयोग किया जा सकता है !
तपेदिक के लिए लिम्फ नोड्स, त्वचा आदि को प्रभावित करने वाले तपेदिक के बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए स्थानीय घाव की बायोप्सी किया जा सकता है !
टीबी के जोखिम
टीबी tuberculosis का सही समय पर उपचार नहीं होने पर शरीर को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिनमें से कुछ लाइफ लास सिम्टम्स होते हैं !
फेफड़ों का खराब होना – अक्सर यह देखने को मिलता है कि टी. बी. के कारण लोगों के फेफड़े तक खराब हो जाते हैं ! इस प्रकार की समस्या किसी भी व्यक्ति के लिए बेहद घातक साबित हो सकती है ! फेफड़े खराब होने पर इसका इलाज असंभव सा हो जाता है ! और इसके कारण उसकी मृत्यु तक हो सकती है !
रीढ़ की हड्डियों में दर्द – इस प्रकार का लक्षण टी.बी का प्रमुख लक्षण होता है ! जिसमें टीबी से पीड़ित व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी में भयानक दर्द होता है ! वैसे इस प्रकार की समस्या एक्सरसाइज के द्वारा ठीक भी हो सकती है ! परंतु यदि अधिक समय तक यह दर्द बना रहे तो इसके उपचार के लिए रीढ़ की हड्डी की सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है !
लीवर खराब होना – अक्सर टी.बी के कारण व्यक्ति को लीवर या किडनी संबंधीत विकार भी हो सकते है ! हालांकि इसका उपचार संभव है ! परंतु इसके बावजूद भी यह लोगों के लिए काफी घातक साबित हो सकते हैं !
मस्तिष्क की मेंब्रेन में सूजन – शोध विशेषज्ञ के अनुसार टी.बी का प्रभाव व्यक्ति के मस्तिष्क पर भी पड़ता है ! जब टी.बी का उपचार सही समय पर नहीं होता है ! तो इसके कारण से मेम्ब्रेन मे सूजन आ जाती है ! और मस्तिष्क की नसों के फटने का खतरा भी बढ़ सकता है ! और मृत्यु होने का खतरा भी बढ़ जाता है !
टीबी का उपचार tuberculosis treatment
टीबी के बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है ! टीबी के इलाज में सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली दो एंटीबायोटिक्स दवाई आइसोनियाजिड और रिफाम्पिसिन हैं ! और इलाज कई महीनों तक चलता है !
सामान्य प्रकार की टीबी का इलाज 6-9 महीनों तक चलता है ! इन महीनों में पहले दो महीने तक आइसोनियाजिड, रिफाम्पिसिन, इथाम्बुटोल और पायराजीनामाईड का सेवन करना रहता है ! इसके उपरांत इथाम्बुटोल और पैराजिनामाइड दवा बंद कर दी जाती है !
बाकी के 4-9 महीने तक आइसोनियाजिड और रिफाम्पिसिन का सेवन करना रहता है ! इसके साथ ही अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन इंजेक्शन भी दिया जाता है ! मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस तपेदिक में फर्स्ट लाइन ड्रग्स का असर खत्म हो जाता है !
तब विभिन्न प्रकार की एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है ! यह सभी दवाएं डॉक्टर की देखरेख में दी जाती है tuberculosis का स्वयं से कोई उपचार ना करें !